Sunday, December 12, 2010

जंदगी के कस्से भी बड़े अजीबोगरीब हैं
सुकून जो देते नहीं वो आपके करीब हैं
हर शख्स तो होता नहीं मेरी तरह
क कह दए कुछ भी और गले की न उम्मीद है
वक्त-वक्त की बात है जो हंसते हैं हमारी तन्हाई पर
ये वक्त ही है जो कल मेरे साथ था, आज उसकी खुशी में शरीक है



1 comments:

Unknown March 4, 2011 at 6:19 AM  

nice... best of luck for blogging

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